Work energy and power in hindi, Physics

कार्य ऊर्जा और शक्ति (Work energy and power) 

Work energy and power


आज हम Work energy and power  के बारे में बहुत ही अच्छे से जानेगें जो की Physics का एक  बहुत ही महत्वपुर्ण Topic है। कही बार Competitive Exam में इस Topic से बहुत बार Questions पुछे गये है। जो कही न कही हमारे लिए बहुत ही Important है।
तो आइये एक - एक करके Work energy and power से संबधित सभी महत्वपुर्ण बिन्दुओं व तथ्यों को सरल भाषा में समझते है।

कार्य क्या है ?(What is work) -

यहां हम उस कार्य की बात नही कर रहे हैं जो हम दैनिक जीवन में करते है। विज्ञान की भाषा में हम उन सब कारणों को कार्य कहते हैं , जिनमें किसी वस्तु पर बल(Force) लगाने से वस्तु की स्थिति में परिवर्तन हो जाता है। अर्थात् वस्तु विस्थापित हो।

यदि बल लगाने पर भी कोई वस्तु विस्थापित नही होती तो उसे विज्ञान की भाषा में 0 (शुन्य) या कार्य नही माना जाता है।

कार्य धनात्मक(+) व ऋणात्मक(-) दोनों प्रकार का हो सकता है।

कार्य का मात्रक(Unit of Work) - कार्य का S.I. मात्रक ब्रिटिश भौतिकविद जेम्स प्रेसकाॅट जूल (1818 - 1869)  के सम्मान में जूल(J) ऱखा गया है। अत: कार्य की S.I. इकाई जूल(J) होती है। 

कार्य एक अदिश राशि (Scalar Quantity) है। विज्ञान में हम कार्य को 'W' से निरुपित करते है।

अत:

  कार्य(W) = बल(F) × विस्थापन(s) × Cos θ


अब तक हमने कार्य की परिभाषा (Definition of work) और कार्य का मात्रक (Unit of work) के बारें में जाना है।

आगे हम कार्य से संबधित कुछ और Concept को अच्छी तरह से सरल शब्दों में समझने की कोशिश करगें।

कार्य करने के लिय निम्न दो दशाओं का होना अति आवश्यक है-

1. वस्तु पर कोई भी बल लगना चाहिए ।

2.वस्तु का विस्थापन होना आवश्यक है।

निम्न परिस्थितियों को हम विज्ञान की भाषा में कार्य नही मान सकते है-

  • किसी व्यक्ति द्वारा अपने घर की दीवार को धक्का लगाने पर, दीवार में किसी प्रकार का विस्थापन न होना।
  • एक पहलवान द्वारा भारी भरकम चट्टान धकलने पर उसमें किसी भी प्रकार का कोई विस्थापन न होना जबकी पहलवान का थक जाना। 

उपरोक्त दोनों ही परिस्थितियों को हम कार्य नही कहे सकते हैं। क्योकी यहां कोई विस्थापन नही हुआ है।

अब हम जानते हैं ऊर्जा(Energy) के बारे में

ऊर्जा क्या है(What is energy) -

किसी भी वस्तु की कार्य करने की क्षमता को ही उस वस्तु की ऊर्जा कहते है। ऊर्जा कार्य पर Depend करती है। किसी वस्तुु द्वारा जितना कार्य किया जाएगा उतना ही उस वस्तु में ऊर्जा की कमी होती जाएगी। 

कार्य की तरह ही ऊर्जा भी एक अदिश राशि है, अर्थात् इसकी कोई दिशा नही होती केवल परिमाण होता है। 

ऊर्जा का मात्रक (Unit of energy) -ऊर्जा का मात्रक भी जूल (J) ही होता है।



ऊर्जा से संबिधित कुछ महत्वपुर्ण बिंदु -

  • जो वस्तु कार्य करती है, उसमें ऊर्जा की हानि होती है।
  • जिस वस्तु पर कार्य किया जाता है, उसमें ऊर्जा की वृद्धि होती है।

अत: किसी भी वस्तु में निहित ऊर्जा को उसकी कार्य करने की क्षमता से मापा जाता है।

ऊर्जा के प्रकार (Types of energy) -

पमुख रुप से कार्य द्वारा प्राप्त ऊर्जा दो प्रकार की होती है-

1.गतिज ऊर्जा(Kinetic energy) ।

2. स्थितिज ऊर्जा (Potential energy)।


1.गतिज ऊर्जा(Kinetic energy) -

किसी वस्तु में उस्की गति के कारण निहित ऊर्जा को ही उस वस्तु की गतिज ऊर्जा कहते हैं। किसी वस्तु की गतिज ऊर्जा उस वस्तु की चाल के साथ बढ़ती है।

गतिज ऊर्जा के उदाहरण (Example of kinetic energy) - 

  • किसी खिलाड़ी द्वारा फेंकी गयी गेंदी की ऊर्जा।
  • धनुष से छोड़े गये तीर की ऊर्जा।
  • एक तेज रफ्तार से चलती हूई कार की ऊर्जा ।
गतिज ऊर्जा के सुत्र (Formula of kinetic energy) -

Kinetic energy formula


2. स्थितिज ऊर्जा (Potential energy) -  

किसी वस्तु द्वारा उसकी स्थिति अथवा विन्यास में परिवर्तन के कारण प्राप्त ऊर्जा को स्थितिज ऊर्जा (Potential energy) कहते है।

जैसे - स्प्रिंग में निहित ऊर्जा, रबड़ में खीचनें से उसके तनाव में ऊर्जा, बांध के द्वारा इक्ट्ठा किए हुए पानी में संचित ऊर्जा आदि ये सभी स्थितिज ऊर्जा के उदाहरण है।

स्थितिज ऊर्जा का सुत्र (Formula of potential energy) - 

Formula of potential energy



ऊर्जा संरक्षण का नियम (Law of conservation of energy) -

ऊर्जा को न तो उत्पन्न किया जा सकता है, और न ही इसे समाप्त किया जा सकता है। ऊर्जा केवल एक रुप से दुसरे रूप में परिवर्तित होती रहती है। इसे ही ऊर्जा संरक्षण का निय कहते है।

ऊर्जा सरंक्षण से संबधित कुछ प्रमुख उदाहरण -

  • माइक्रोफोन द्वारा ध्वनि ऊर्जा का विद्युत ऊर्जा में परिवर्तित होना।
  • सोलर सेल द्वारा, सौर ऊर्जा का विद्युत ऊर्जा में रुपांन्तरित करना ।
  • डायनेमों द्वारा यांत्रिक ऊर्जा का विद्युत ऊर्जा में रुपांन्तरित होना ।
  • मोमबती द्वारा रासायनिक ऊर्जा का प्रकाश और ऊष्मा ऊर्जा में रुपान्तरित होना ।
  • विद्युत बल्ब द्वारा विद्युत ऊर्जा का प्रकाश एवं ऊष्मा ऊर्जा में रुपान्तरित होना ।


संवेग (Momentum) - 

किसी भी वस्तु के वेग तथा उसके द्रव्यमान के गुणनफल के परिमाण को ही संवेग कहा जाता है। 

संवेग को 'p' से Denote करते हैं,

अर्थात् .

P = m × v


संवेग सदिश राशि है, जिसमें परिमाण और दिशा दोनों ही होते है। इसकी दिशा वही होती है, जो वेग की होती है।

संवेग का मात्रक (Unit of momentum) -

संवेग का S.I. मात्रक kg.ms-1 (किग्रा.×मी./से.) होता है।

संवेग एवं गतिज ऊर्जा में सबंध (Relation between momentum and kinetic energy)- 


Relation between momentum and kinetic energy


अत: संवेग को दोगुना करने पर उस वस्तु की गतिज ऊर्जा चार गुना हो जाती है।

शक्ति क्या है ? (What's power) -

किसी भी वस्तु के कार्य करने की दर या उसके ऊर्जा रपांतरण की दर ही शक्ति कहलाती है। शक्ति एक अदिश राशि है।

शक्ति का मात्रक (Unit of power) - शक्ति का मात्रक प्रसिद्ध वैज्ञानिक जैम्स वाॅट के सम्मान में वाॅट (W) रखा गया है।

1Kw = 1000 W

1Mw = 10 W

शक्ति का एक और बड़ा मात्रक अश्व शक्ति  (Horse Power) होता है

1 H.P. 746 W

शक्ति (Power) किसी भी वस्तु के द्वारा किए गय कार्य की दर को मापती है, अर्थात् कार्य कितनी जल्दी अथवा देरी से किया गया।

लेकिन किसी वस्तु या अभिकर्ता की शक्ति समय के साथ परिवर्तित हो सकती है।

औसत शक्ति (Average Power) - 

कुल उपयोग की गई ऊर्जा / कुल समय


हमने आज कार्य ऊर्जा और शक्ति (Work energy and power)  के बारे में जाना


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धन्यवाद्।



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